48 साल में जंगली जीवों की आबादी 69% घटी:क्लाइमेट चेंज, जंगल की कटाई बड़ी वजहें; 5 हजार से ज्यादा प्रजातियों पर रिसर्च

48 साल में जंगली जीवों की आबादी 69% घटी:क्लाइमेट चेंज, जंगल की कटाई बड़ी वजहें; 5 हजार से ज्यादा प्रजातियों पर रिसर्च

48 साल में जंगली जीवों की आबादी 69% घटी:क्लाइमेट चेंज, जंगल की कटाई बड़ी वजहें; 5 हजार से ज्यादा प्रजातियों पर रिसर्च

साल 1970 से 2018 के बीच दुनिया में वन्यजीवों की आबादी में 69% की गिरावट दर्ज हुई है। यह खुलासा हाल ही में जारी की गई वर्ल्ड वाइड फंड (WWF) की लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट में हुआ है। इन जीवों में स्तनधारी जानवर, पक्षी, रेपटाइल्स, मछली आदि शामिल हैं। भारत में भी कुछ ऐसा ही पैटर्न देखने को मिला है। यहां 48 साल में मधुमक्खियों समेत मीठे पानी में रहने वाले कछुओं की 17 प्रजातियों की पॉपुलेशन घटी है।

6 वजहों से घट रही वन्यजीवों की संख्या
रिपोर्ट के मुताबिक, वन्यजीवों की आबादी तेजी से कम होने के पीछे 6 बड़े कारण हैं। इनमें जलवायु परिवर्तन (क्लाइमेट चेंज), प्रदूषण का बढ़ना, एग्रीकल्चर, शिकार, लकड़ी के लिए जंगल की कटाई और हमलावर प्रजातियां शामिल हैं। एक अन्य रिसर्च की मानें तो फिलहाल इंसान हर मिनट 27 फुटबॉल मैदान जितने वन काट रहा है।

ब्राजील के अमेजन में मिलने वाली पिंक रिवर डॉल्फिन की आबादी 1994 से 2016 के बीच 65% घट गई।

ब्राजील के अमेजन में मिलने वाली पिंक रिवर डॉल्फिन की आबादी 1994 से 2016 के बीच 65% घट गई।

5,230 प्रजातियों को ट्रैक किया गया
रिसर्चर्स ने इस स्टडी के लिए 5,230 प्रजातियों की 32,000 आबादियों को ट्रैक किया। ये सभी ट्रॉपिकल इलाकों में रहने वाले जीव हैं। स्टडी के अनुसार, 48 सालों में वन्यजीवों की आबादी में सबसे ज्यादा 94% गिरावट लैटिन अमेरिका और कैरिबियन देशों में आई है। वहीं, अफ्रीका और एशिया में वन्यजीव 66% और 55% घटे हैं। विश्व स्तर पर मीठे पानी की प्रजातियों की आबादी में 83% की कमी आई है।

रेड लिस्ट में कौन सी प्रजातियां?
जानकारी के मुताबिक, ब्राजील के अमेजन में मिलने वाली पिंक रिवर डॉल्फिन की आबादी 1994 से 2016 के बीच 65% घट गई। इसके साथ ही पिछली दो बार की WWF रिपोर्ट देखें तो पता चलता है कि जंगली जीवों की आबादी हर साल 2.5% कम हो रही है। जानवरों की आबादी पर नजर रखने वाली IUCN रेड लिस्ट के अनुसार, दुनिया का सबसे पुराना बीज वाला पौधा साइकेड विलुप्त होने की कगार पर है। इसके बाद कोरल रीफ और एंफिबियन्स के विलुप्त होने का खतरा है।